झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर लगी रोक हटाने से एक बार फिर इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हो जाता, तब तक यह रोक बनी रहेगी।
अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को तय की है। तब तक आवंटन पर लगी अंतरिम रोक यथावत रहेगी।
सरकार का तर्क और कोर्ट की टिप्पणी:
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत से समय मांगा। उन्होंने बताया कि पेसा (PESA) नियमावली तैयार करने के लिए 17 विभागों से राय मांगी गई थी, जिनमें से पांच विभागों की प्रतिक्रिया अब भी लंबित है।
सरकार ने कहा कि राय मिलने के बाद नियमावली कैबिनेट को भेजी जाएगी और स्वीकृति के बाद अधिसूचित कर दी जाएगी।
हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट कहा — “जब तक पेसा नियमावली लागू नहीं होगी, तब तक रोक जारी रहेगी।”
पृष्ठभूमि:
साल 1996 में केंद्र सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के अधिकारों को सशक्त करने के लिए पेसा कानून लागू किया था, लेकिन झारखंड में अब तक इसके तहत नियमावली तैयार नहीं की जा सकी है।
वर्ष 2019 और 2023 में राज्य सरकार ने ड्राफ्ट तो तैयार किया, पर उसे लागू नहीं किया गया।
इसी मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की गई थी।
पहले भी हाईकोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को आदेश दिया था कि दो महीने के भीतर नियमावली अधिसूचित की जाए, लेकिन आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई, जिसकी सुनवाई जारी है।
झारखंड में पेसा कानून की नियमावली कब लागू होगी, इस पर अब सबकी नजरें 30 अक्टूबर की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।

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